रिटायर्ड ब्रिगेडियर देवेंद्र सिंह को मिले इन्साफ से ये जाहिर हो गया है कि १९९९ में पाकिस्तान के साथ हुए कारगिल युध्ह का इतिहास फिर से लिखना पड़ेगा क्योंकि पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल किशन पाल ने अपनी वर्दी पर चंद मेडल टांगने की मंशा से पुरे देश को भ्रम में रखा।
ब्रिगेडियर देवेंद्र सिंह ने बटालिक सेक्टर से सबसे पहली बार पाकिस्तानी घुसपैठ होने की आशंका व्यक्त की थी लेकिन लेफ्टिनेंट जनरल किशन पाल ने न सिर्फ उनकी चेतावनी को अनदेखा किया बल्कि लेफ्टिनेंट सौरभ कालिया और उनके साथियों के गुमशुदा होने कि बात भी सरकार से छुपाये रखी। इस कलयुगी रक्षक (जनरल किशन पाल) के झूट के कब्रिस्तान में कई ऐसे सच दफ़न है जिन्हें सुन कर न सिर्फ सर शर्म से झुक जाता है बल्कि दिल करता है कि ऐसे लोगों को कड़ी से कड़ी सजा दे कर न सिर्फ सेना और देश के सामने बल्कि पुरे विशव के सामने एक मिस्साल कायम की जानी चाहिए।
जनरल किशन पाल के झूठ की और कई दस्तानो के कच्चे चिट्ठे निचे दिये लिंक में पढ कर आप खुद ही अंदाज़ा लगाईये कि इस इंसाने के साथ क्या सलूक किया जाये??
http://kashmir-timemachine.blogspot.com/2010/05/gen-pal-should-his-head-not-hang-in_27.html
jo saja ek desh ke gaddar ko milti hai
जवाब देंहटाएंvahi inko bhi milni chahiye
http://sanjaykuamr.blogspot.com/
देखिये आज सच और झूठ सबूतों और गबाहों से नहीं बल्कि सिर्फ और सिर्फ वादी और प्रतिवादी के ब्रेनमेपिंग व लाई डिटेक्टर टेस्ट से ही संभव है ,क्योकि पैसे ने सबूत और गवाह के महत्व और विश्वसनीयता पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया है जिसका फायदा ये भ्रष्ट राजनेता आज खूब उठा रहें हैं / इस विषय पर देश में न्याय के लिए जिम्मेवार और प्रथम नागरिक यानि राष्ट्रपति को सोचना होगा /
जवाब देंहटाएंhang him till death
जवाब देंहटाएंIse to sare aam goli maar deni chahiye thee !
जवाब देंहटाएंखतरनाक
जवाब देंहटाएंअफसरशाही ने देश का बुरा हाल कर दिया है...
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