सोमवार, 3 मई 2010

खेल ब्रेकिंग न्यूज़ का..

एक दौर था जब स्वर्गीय एस पी सिंह द्वारा संचालित कार्यक्रम "आजतक" आजकल के डेली सोप कि तरह ही लोगों कि ज़िन्दगी का हिस्सा था। उस आधे घंटे के कार्यक्रम कि ख़बरों में एक जोश, एक सच्चाई, एक निर्भयता का एहसास होता था। वो एक एस पी सिंह और एक "आजतक" मिल कर आधे घंटे तक १०० करोड़ लोगों कि नब्ज़ थाम लेते थे। जबकि आज सकड़ों टी वी पत्रकार और बीसियों आधे घंटे के न्यूज़ कार्यक्रम मिल कर भी दर्शकों का तिल भर भी विश्वास नहीं जीत पाते। कहने को हर आधे घंटे बाद चिल्ला चिल्ला कर ब्रेकिंग न्यूज़ का एलान किया जाता है पर क्या हकीकत में ब्रेकिंग न्यूज़ के नाम पर दिखाई जाने वाली हर खबर ही असली खबर होती है?? क्या है ब्रेकिंग न्यूज़ का खेल। इसका अंदाज़ा आप यहाँ नीचे दिये गए ब्लॉग लिंक को पड़ कर आप लगा सकते हैं.

http://kashmir-timemachine.blogspot.com/2010/05/tv-news.html

2 टिप्‍पणियां:

  1. पैसों ने विश्वास को धो दिया है / पत्रकारिता अब !!!!!!!! कुछ कहने लायक शब्द नहीं है /

    जवाब देंहटाएं