शनिवार, 10 जुलाई 2010

काँटों भरा ताज "ताज-ए-कश्मीर"..

राजनीती में यूँ तो हर कुर्सी का ताज काँटों भरा होता है लेकिन भारत के बाकी राज्यों के ताज में चुभने वाले कांटें उनमें लगे फूलों का हिस्सा होते हैं - जबकि जम्मू और कश्मीर के ताज में सिर्फ और सिर्फ काँटों कि चुभन का ही एहसास है क्योंकि इस ताज के चमन में फूल खिलना कई साल पहले ही बंद हो चुका है। जम्मू कश्मीर के युवा मुख्य-मंत्री उमर अब्ब्दुल्ला अपनी ताज पोशी के वक़्त इन काँटों को चुन के बाग़-ए -कश्मीर में रोज़गार, उन्नति, तरक्की के फूल खिलाने का सपना लेकर आये थे। लेकिन वहां की जनता और उमर अब्ब्दुल्ला आये दिन कश्मीरी अवाम के सुकून, विकास और कारोबार के दुश्मनों की चालों का शिकार हो रहे हैं। यहाँ तक की कुछ लोग ज़मीनी सच्चाई का विश्लेषण किये बिना उमर को अब तक का सबसे असफल शासक करार दे चुके हैं। शायद इन लोगों को डर है की कहीं उमर की आँखों में बसे सपने किसी दिन सच न हो जायें । ऐसे में मासूम लोगों की लाशों पर अपने राजनितिक मंसूबों की रोटियां सकने वालों की दुकानदारी बंद होने की नौबत भी आ सकती है।
"कश्मीर वचार" का ये नया पोस्ट कश्मीर घाटी के कल और आज के विश्लेषण पर ही आधारित है।

http://kashmir-timemachine.blogspot.com/2010/07/omar-honest-politician.html

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