रविवार, 19 अप्रैल 2009

टीआरपी बढ़ रही है पर कृष्ण जी नहीं..

मुरली मनोहर, कृष्ण कन्हैया, नन्द किशोर, रणछोर, गोविन्द, गोपाल, माखनचोर और भी न जाने कितने नाम हैं माँ यशोदा के लाडले कृष्ण कन्हैया के। उस बंसीधर को आज एक नाम मैं भी दे रही हूँ और उनका ये नया नाम है "टीआरपी चोर"। जी हाँ जब से इस नन्हे नटखट का अवतरण कलरस चैनल पर हुआ है तभी से इन्होने बाकी सिरिअल की "टीआरपी" पर चुपके से हाथ साफ करना शुरू कर दिया था। मगर गोकुल के कृष्ण कन्हैया को माखन चुराने में ख़ुद कोई नुक्सान नही उठाना पड़ा था जबकि यहाँ उन्हें "टीआरपी चोर" बनने के बाद अच्छी-मशकत करनी पड़ रही है। और सबसे बड़ा हर्जाना ये है की बढती "टीआरपी" के चलते उनकी उम्र बढ़नी लगभग बंद हो चुकी है। अब नतीजा ये की लीलाधर ने अपनी जिन लीलाओं का आनंद किशोरावस्था में लिया और अपने भक्तों को दिया उन्हें भी वह बाल्यावस्था में ही अंजाम दे रहे हैं। फिर वो चाहे देवराज इन्द्र का मान मर्दन करने के लिए गोवर्धन पर्वत को अनामिका पे उठाना हो या फिर गोपियों के वस्त्र हरण की लीला करनी हो ये सभी काम बढती "टीआरपी" के चलते उनसे बाल्यावस्था में ही करवाए जा रहे हैं॥
इसमें कसूर किसका है ?? क्या साढ़े तीन साल की धृति भाटिया की बेमिसाल अभिनय क्षमता को इसका जिम्मेदार ठहराया जाए या फिर इस बेरहम टीआरपी के खेल को जिसने आज के दौर में हर चैनल और सीरियल निर्माताओं को "इन्सिक्योर" कर दिया है जिसका नतीजा ये कि ये लोग सालों तक एक ही पुरानी बोतल का ढक्कन बदल बदल कर दर्शकों को बेवकूफ बनाते रहते हैं मगर कुछ नया कर पाने की हिम्मत ये तब तक नही उठा पाते जब तक कोई "बालिका वधु" चुपके से दर्शकों के ड्राइंग रूम और दिल में घुसपैठ कर अपना स्थान सुनिश्चित नहीं कर लेती।
खैर हम बात कर रहे थे "टीआरपी चोर" की॥ इस बढती टीआरपी ने उनकी उम्र पर पहरे लगा दिए हैं। अब कंस की कारागार से निकलने केलिए तो देवकीनंदन ने अपनी "माया" का जाल बिछा के जेल के सभी पहरेदारों को सुला दिया था मगर यहाँ जो उनके पहरेदार हैं उन पर उनकी माया का उल्टा असर हो रहा है और वो लोग पुरी तरह चौकन्ने हैं की इस नन्हे टीआरपी चोर से जितनी हो सके टीआरपी की चोरी करवा ली जाए हैं। और इस काम ने उनकी रातों की नींद उड़ा दी है क्योंकि नन्ही धृति यानि कृष्ण से लाजवाब अभिनय करवाने केलिए पूरी टीम को खासी मशकत करनी पड़ती है। इस सिरिअल के निर्माता और निर्देशक केलिए सबसे बड़ी चुनौती है नटखट कृष्ण और मामा कंस के उन दृश्यों का फिल्मांकन करना जहाँ उन दोनों को एक साथ दिखाया जाता होता ई॥ क्योंकि धृति यानि अपने कृष्ण जी जितनी चपलता और सह्जता से कैमरे का सामना कर लेते हैं उतना ही डर उन्हें मामा कंस के सामने आने से लगता है॥ जिसकी वजह से मामा भांजे के एकसाथ दिखाए जाने वाले दृष्यों का फिल्मांकन अलग अलग करके बाद में उन्हें तकनीकी सहायता के द्वारा एक साथ दिखाया जाता है॥
चलो बढती टीआरपी को बनाये रखने केलिए इस समस्या का समाधान तो निकाल लिया मगर मुझे डर सिर्फ़ एक बात का है की महाभारत के इस मुख्य नायक ने कुरुक्षेत्र में जो "गीता" का उपदेश दिया था उसकी जिम्मेदारी भी कहीं नन्ही धृति को ही न उठानी पड़े। पर क्या हमारे दर्शक उस हद्द तक बेवकूफ बनने केलिए तैयार हैं??

9 टिप्‍पणियां:

  1. ye T.V. ke bhi khel nirale hain ...bahut sahi likha hai aapne ...mera dost media field mein hai ...bahut kuchh pata chalta rahta hai TRP ka khel kya hai .....aapke lekh par aapko badhayi

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  2. इस टीआरपी के खेल में कभी तथ्यों से छेडछाड कर दी जाती है तो कभी घटनाओं को अनावश्यक विस्तार दे दिया जाता है । कभी मृत को जीवित कर दिया जाता है । आपने बडे प्रभावशाली तरीके से इस विषय को प्रस्तुत किया है । आपकी शब्द सामथ्यॆ, तारतम्यता और विषय का विश्लेषण सहज ही प्रभावित करता है । अच्छे लेख के लिए बधाई-

    http://www.ashokvichar.blogspot.com

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  3. प्रभावशाली आलेख-टी आर पी जो न करवाये.वाकई इसके खेल निराले.

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  4. बहुत सही,अब तो चैनल की चिन्ता भी यही है,कि नन्हें कृष्ण को अगर हटाएं तो दर्शक कहीं भाग न जांय,वैसे आपके विश्लेषण से मेरी भी सहमति है।

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  5. आपके विश्लेषण से मैं भी सहमत हूँ,टीआरपी जो ना कराये,जब टी वी इंडस्ट्री की हडताल की वजह से सभी चैनल अपने कार्यक्रम रिपीट कर रहे थे तभी भी इसकी टीआरपी पर फ़र्क नही आया था,अब देखना है असली मुद्दे को ये चैनल वाले कैसे निपटाते हैं,अच्छी पोस्ट के लिये शुक्रिया

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  6. खबरिया दौर नें सब को जायज बना दिया है .

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  7. टीवी और टीआरपी के खेल की सच्चाई को सामने लाने के लिये बहुत-बहुत बधाई। आपने पूरी ईमानदारी और दमदारी से सच लिखा,सलाम आपकी कलम को।वैसे ये टी आर पी जो न कराये कम है।

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  8. मुझे यह सिरियल अब बचकाना लगने लगा है। एक वो भी दौर था कि महाभारत - रामायण सिरियल बडे मन से देखा करता था लेकिन अब पता नहीं क्या हो गया कि इस सिरियल को देखकर कोफ्त होती है। जिस नन्हीं सी धृति भाटिया के अभिनय की आप तारीफ कर रही हैं वह भले ही सबको अच्छा लगे पर मुझे वह कहीं किसी एंगल से ठीक नहीं लग रहा है। अगर कुछ बडी उम्र के किरदार से कृष्ण के रोल को निभाया गया होता तो कुछ ज्यादा अच्छा होता।
    उस बच्ची के बोलने से लगता है कि जैसे उसे एक एक लाईन एक एक शब्द कोई बोलने को कहता है और वह रूक रूक कर उसे एक एक शब्द जोडकर बोल रही है। इतनी कम उम्र में प्रतिभा अच्छी बात है पर ये सिर्फ एक या दो कडी तक ही ठीक लगता है जब बहुत छोटे कृष्ण को दिखाना हो, लेकिन यहां तो पूरा सिरियल ही शब्दों को बुलवा बुलवा कर पूरा किया जा रहा है जो कि उचित नहीं है।

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