मंगलवार, 5 जनवरी 2010

है कोई इनका वारिस ??

चारों तरफ़ मंदी की मार का शोर है॥ हर कोई परेशान है कि आखिर नौकरियां गई कहाँ॥ मगर मुझे ये सोच के ताज्जुब हो रहा है कि हिन्दी फ़िल्म इंडस्ट्री में आज भी कई पोस्ट सालों से खाली हैं जिनका कोई भी उम्मीदवार नहीं हैं॥ सोच के देखिये कि हर दूसरी फ़िल्म में पुलिस इंसपेक्टर का किरदार निभाने वाले कलाकार की कुरसी जोकि जगदीश राज के निधन के बाद खाली हो गई थी क्या आजतक उसका कोई दावेदार हमारी इंडस्ट्री में पैदा हुआ?? डांसिंग क्वीन हेलन के बाद आज कौन है जो "मोनिका ओ माय डार्लिंग" कि धुन पर बेपरवाह थिरक सके?? और अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा को जीता कर विश्व इतिहास रचेयता का श्रेय पाने वाले महावीर बजरंगबली कि भूमिका को अपने ही एक अलग शाही पंजाबी अंदाज़ में निभाने वाले दारा सिंह की पदवी का भी कोई वारिस दूर-दूर तक दिखाई नही देता॥ खैर जिन लोगों के नाम मैंने लिए उनसे आप सभी परिचित हो ये ज़रूरी नही है॥ तो चलिए इन सभी को ज़रा करीब से जानने कि कोशिश करते हैं हो सकता है मेरी इस कोशिश के बाद कोई इस और ध्यान दे और शायद इनकी जगह लेने का सपना किसी के मन में जागने लगे॥

तो लेडीज़ फर्स्ट के नियम कि अवहेलना न करते हुए शुरुआत करते हैं ५०, ६० और ७० के दशक में हिन्दी फ़िल्म के दर्शकों को अपना नाम "चिन चिन चुंग" बता कर सबका मन मोहने वाली हेलन रिचर्ड्सन से॥ जिन्हें हम सब सिर्फ़ हेलन के

नाम से ही जानते हैं॥ यूँ तो हिन्दी फिल्मों में हेलन का नाम बतोर खलनायिका, सह-अभिनेत्री और मुख्य अभिनेत्री यानि हर रूप में हम देखते आए हैं मगर हेलन को आज भी हिन्दी फिल्मों की सबसे ज़्यादा मशहूर आइटम ग


हेलन के बाद
र्ल के रूप में ही याद किया जाता है॥ क्योंकि करीब ३०० फिल्मों में अपनी बेहतरीन अदाकारी का जादू चलने वाली हेलन ने ६५ से भी ज़्यादा फिल्मों में सिर्फ़ और सिर्फ़ आइटम सोंग के लिए ही अपनी मुह दिखाई की थी॥

मुझे याद आ रही है मुंबई पुलिस की॥ ६० व् ७० के दशक में अगर किसी हिन्दी फ़िल्म में पुलिस ऑफिसर का किरदार निभाने कि बात आती तो उसके लिए स्क्रीन टेस्ट या या ज़्यादा सोच-विचार करने कि शायद ही नोबत आती होगी क्योंकि इस भूमिका को बार -बार निभाते हुए जगदीश राज इस कदर टाइप हो चुके थे कि शायद उन्होंने भी किसी फ़िल्म का ऑफर आने पर ये पूछना छोड़ दिया होगा की फ़िल्म में उनका किरदार क्या है?? यही वजह है कि करीब २३६ फिल्मों में से १४४ बार जगदीश राज सिर्फ़ पुलिस इंसपेक्टर कि भूमिका में ही दिखाई दिए॥ जोकि अपने आप में एक विश्व रिकॉर्ड है॥

और अब बात करते हैं पंजाब दे पुत्तर रुस्तम-ऐ-हिंद दारा सिंह की॥ दारा सिंह जिनका नाम सुनते ही फ़िल्म और टेलीविजन पर उनके द्वारा साकार पवन पुत्र हनुमान का किरदार अपनेआप ज़हन में घूमने है॥ और शायद ये कहना ग़लत नही होगा कि दारा सिंह का नाम अब फिल्मी हनुमान जी के किरदार का प्रयाय्वाची बन चुका है॥ हालाँकि उनकी इस पदवी पर उनके सुपुत्र विदु ने कुछ वर्षों पहले अपनी

दावेदारी साबित करने कि कोशिश कि थी मगर पिता की लोकप्रियता के सामने बेटे की छवि का कद्द बोना साबित हुआ॥ दारा सिंह ने अबतक तक़रीबन १२० से भी ज़्यादा फिल्मों में अपनी अदाकारी का योगदान दिया है पर उनका सबसे बड़ा योगदान रहा धार्मिक हिन्दी फिल्मों में निभाई उनकी अलग-अलग भूमिकाएं॥ गौरतलब है कि अपने अब तक के अभिनय सफर में वह ५ बार बजरंगबली, 4 बार भीम, ३ बार भगवन शिव और एक बार भीम पुत्र घटोत्कच का किरदार निभा चुके हैं॥ मगर आज भी बजरंगबली के फिल्मी अवतार का नाम आते ही दारा सिंह ही हनुमान रूप दिखाई देने लगते हैं॥

ये जीतनी भी खाली पोस्ट के बारे में मैंने आपको जानकारी दी है इनके शहंशाहों ने वर्षों पहले ही अपने सिंघासन को खाली कर नई पीढी को उस पर विराजने का निमंत्रण दे दिया॥ मगर आज इतने सालों के बाद भी उस सिंघासन पर बैठना तो दूर कोई उस पायदान की पहली सीडी पर भी पाँव नही रख सका है॥ जो भी हो मुझे नही लगता इन खाली पड़े सिंघासनों को कभी कोई वारिस मिलेगा॥

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