गुरुवार, 26 मार्च 2009

सुरेखा सिकरी : इस चिराग तले अँधेरा कहाँ..

बहुत प्रसिद्ध कहावत है की चिराग तले अँधेरा होता है॥ मगर इस कहावत के भावार्थ को बदल के दिखाया है ६४ साल की दादीसा यानि सुरेखा सिकरी ने॥ सुरेखा और अभिनय मानो एक ही सिक्के के दो पहलु हैं॥ यही कारण है की सुरेखा को जब जहाँ जिस किरदार में भी देखा तो लगा की मानो यही असली सुरेखा हैं॥ टेलिविज़न पर तमस, सात फेरे या फिर बनेगी अपनी बात जैसे आधा दर्ज़न से भी भी ज़यादा धारावाहिकों में अपनी अदाकारी से दर्शको का मन मोह लेने वाली सुरेखा ने बड़े परदे पर भी अपने अभिनय और मौजूदगी से अच्छे-अच्छे कलाकारों के पसीने छुडाये हैं .. ज़ुबेदा, मम्मो, सलीम लंगडे पे मत रो आदि चाहे जिस फ़िल्म का नाम लीजिये और उसी वक्त सुरेखा यानि एक पर्फ़ेक्शिनिस्ट की ही छवि दिमाग में साकार होगी॥ कमाल की बात ये है की इस हरफनमौला, जिंदादिल कलाकार कीपारिवारिक पृष्ठभूमि में दूर-दूर तक किसी का भी अभिनय से कोई वास्ता नही रहा॥ फिर भी अपने काम के साथ इमानदार रहने की आदत ने सुरेखा को अभिनय की उस बुलंदी पर पहुँचा दिया है जहाँ छोटे-बड़े परदे का फरक ख़तम हो जाता है॥

सुरेखा की मौजूदगी मानो एक चैलेन्ज है हर कलाकार के लिए॥ यही कारण है की उनके बहुचर्चित धारावाहिक बालिका वधु के हर किरदार के अभिनय में हफ्ते-दर-हफ्ते ऐसा निखार आ रहा है की देखने वाले भी दांतों तले ऊँगली दबाते हैं और ये कहने पर मजबूर हो जाते हैं की जब छोटे परदे पर ही अपनी अभिनय क्षमता को दिखाने का इतना बेहतरीन मौका मिल रहा हो किसी को तो कोई बड़े परदे की तरफ़ क्यों जाए॥ मौजूदा दौर में यूँ तो बालिका वधु का हर किरदार अपनी भूमिका के साथ न्याय कर रहा है पर पिछले कुछ एपिसोड से भैरों (अनूप सोनी) और सुगना (विभा आनंद) कई जगह सुरेखा सिकरी यानि दादी सा को भी अपने अभिनय से टक्कर दे रहे हैं॥ कारण साफ़ है के सुरेखा के रूप में उनके सामने अभिनय के इतने ऊँचे मापदंड खड़े हो जाते हैं की अपनी मौजूदगी के एहसास को बनाये रखने के लिए हर किसी को मेहनत करनी पड़ रही है॥ मगर मेहनत का गुड जितना ज़यादा डाला जा रहा है देखने वालों को स्वाद भी उतना ही ज़्यादा आ रहा है॥ अभिनय, निर्देशन, सिनेमाटोग्राफी चाहे जिस कोण से देखें ये सफलता के मामले में ये धारावाहिक नित नई बुलंदियों को छू रहा है॥ ये सब देख के तो यही लगता है की सुरेखा जैसे दिए की विशाल लो के आस-पास टिमटिमाते हर दिए के होसले बुलंद हो रहे हैं तभी तो दूरदर्शन और अन्य कई निजी चैनलों द्वारा खोटे सिक्के की तरह ठुकराए जा चुके इस सीरियल की उड़ान ने टेलिविज़न के इतिहास को बदल के रख दिया॥

3 टिप्‍पणियां:

  1. hmm surekha ji ki fan aap bhi hain.ye chirag abhi bahuton ki roshani ko hawa dega dekhte raho.

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  2. hey vibha must be happy after ur comments.

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  3. Well said. surekha is a milestone for actors and directors fraternity. but don’t you think that we got late in recognising her talent? And still she deserves many more applauds and standing ovations. wish she would get it soon.

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