मंगलवार, 24 मार्च 2009

हिन्दी में ब्लॉग : आख़िर क्यों ??

ये नया हिन्दी ब्लॉग शुरू करते वक्त ही मेरे दिमाग में ये बात उठी थी की मुझे इस सवाल का जवाब कई बार देना होगा॥ हिन्दी में एक ब्लॉग क्या शुरू कर दिया मानो ये एक सवाल जी का जंजाल बन गया है॥ कुछ टिपण्णयों पर ग़ौर फरमाइए--क्या फायदा ऐसी भाषा में ब्लॉग लिखने का जिसे पढ्नेवाला ही कोई न हो?? या फिर लगता है दिल्ली की याद कुछ ज़्यादा ही सताने लगी है??
मैंने भी सोच रखा था कि मेरा जवाब इसी ब्लॉग पर मिलेगा सबको॥ तो सवाल है कि आख़िर हिन्दी में ब्लॉग क्यों?? सबसे पहली बात मैंने भारत यानि हिंदुस्तान में जन्म लिया है और बचपन से ही मुझे सिखाया गया कि हिन्दी मेरी मातृभाषा है॥ आजभी हिंदुस्तान के करीब ७०% लोगों केलिए हिन्दी ही आपसी बोलचाल का एकमात्र ज़रिया है॥ अब अगर मेरा मन किया कि मैं अगर बचे हुए ३०% लोगों कि श्रेणी में ख़ुद को रखते हुए बाकि ७०% हिन्दी जनमानस का साथ निभाती रहूँ तो इसमें आख़िर बुरा क्या है??
जैसा कि श्रीमान वरिष्ठ बच्चन साहब, सीधी सरल भाषा में बिग "बी" यानि अमिताभ बच्चन के बारे में भी मैंने सुना है की वो यदा-कदा अपना ब्लॉग हिन्दी में भी लिखते हैं॥ इस बात को मीडिया ने फुटबाल की तरह उछाला॥ वो भी ये कहते हुए कि मातृभाषा को सम्मान और पहचान देने वालों में अगर अमिताभ सरीखे प्रसिद्द व्यक्ति का योगदान होगा तभी लोगों के मन में अपनी मातृभाषा के प्रति लगाव उजागर होगा॥ पर जैसे ही वो लगाव मेरे मन में उजागर हुआ तो कई लोगों का हाज़मा ख़राब हो गया॥ दरअसल मीडिया से एक चूक हो गई क्योंकि उन्होंने बच्चन साहब के हिन्दी में ब्लॉग लिखने कि ख़बर का प्रचार ग़लत तरीके से किया क्योंकि यदि बात को कुछ इस तरीके से कहा जाता के बिग "बी" न सिर्फ़ हिन्दी में ब्लॉग लिखते हैं बल्कि वो हिन्दी के ब्लॉग पढ़ते भी हैं तो शायद हिन्दी बोलने -लिखने-समझने में अपँग जनमानस को मेरा हिन्दी में ब्लॉग लिखना यूँ नागवार न होता और उनके मन में ये न उठते कि क्या फायदा ऐसी भाषा में ब्लॉग लिखने का जिसे पढ्नेवाला ही कोई न हो?? जो भी हो अब जब लिखना शुरू किया ही है तो इतना ख्याल मुझे भी रखना होगा कि मेरा ये खुमार महज़ एक हिन्दी बचाओ सप्ताह या हिन्दी पखवाडा बनके न रह जाए॥
हिन्दी भाषा के जानकारों के लिए मेरा इतना ही निवेदन है कि भाषा में गलतियाँ हों तो कृपया अपने मन की शान्ति भंग न किजिगा क्योंकि कई बार तकनीकी जानकारी के आभाव के कारण भी न होने वाली गलतियाँ हो जाती हैं॥ तो कृपया शान्ति का दान दें॥

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