
भारत की वाव्सयिक नगरी "मुंबई" जिसके बारे में कहा जाता है की ये शहर कभी सोता नही है॥ और ये बात वाकई सच है॥ इसी शहर को कुछ लोग मायानगरी भी कहते हैं॥ क्योंकि ये वो नगर है जहाँ आसमान के तारे ज़मीन पे नज़र आते हैं॥ हालाँकि शूटिंग वगरह के सिलसिले में ये सितारे ज्यादातर विदोशों में की शिरकत करते हैं मगर उनके स्थाई पतों पर इस मायानगरी की ही छाप होती है॥
खैर हम बात कर रहे थे मायानगरी की माया की॥ सच में साहब यूँ तो अपने काम के सिलसिले में मैं देश के कई छोटे बड़े शहरों में घूम चुकी हूँ मगर इस शहर में मैंने वो सब देखा जो अपनेआप में अजीबोगरीब मिसाल है॥ मुंबई की लाइफ लाइन कही जाने वाली लोकल ट्रेन को ही लीजिये॥ आम दिनों में अगर आप लोकल ट्रेन में सफर करेंगे तो अपनी-अपनी ज़िन्दगी की चक्की में पिसते लोग इतने स्वार्थी हो जायेंगे की ४ लोगों के बैठने की सीट पे आपको ३ लोग बैठे मिलेंगे और लाख मिन्नतें करने पर भी उनमें से कोई तिनका भर भी खिसकने को तैयार नही होगा॥ मानो के ट्रेनकी ये एक
सीट ही उनकी आन-बान-और शान की पहचान हो॥ वैसे चाहे यही लोग अपनी सारी ज़िन्दगी एक 8x10 के फ्लैट में ६ और लोगों के साथ गुजार देते हैं॥ और फिर यही लोग आतंकी धमाकों में लहूलुहान हुयी मुंबई के हर अपने-बेगाने के ग़म में इस कदर शरीक हो जाते हैं के जैसे अपनी की उंगली से जुडा नाखून हो॥

खैर इस चर्चा को तो इंसानी फितरत कह के भी दरकिनार किया जा सकता है॥ मगर इस मायावी नगरी की माया के असली पहलु पर गौर फरमाइए॥
मुंबई का पुराना नाम बॉम्बे था ये तो हम सभी जानते हैं मगर बॉम्बे नाम क्यों और किसने रखा ?? क्या सोच के रखा ये कोई नही जनता॥ क्योंकि जब इस शहर का नामकरण बतौर बॉम्बे हुआ उस वक्त ना तो यहाँ बम्ब फटते थे और नही यहाँ कोई "बे" यानि खाडी ही हुआ करती थी थी॥
मुंबई का पुराना नाम बॉम्बे था ये तो हम सभी जानते हैं मगर बॉम्बे नाम क्यों और किसने रखा ?? क्या सोच के रखा ये कोई नही जनता॥ क्योंकि जब इस शहर का नामकरण बतौर बॉम्बे हुआ उस वक्त ना तो यहाँ बम्ब फटते थे और नही यहाँ कोई "बे" यानि खाडी ही हुआ करती थी थी॥
बात यहाँ ख़तम नही होती यहाँ से तो असली किस्सा शुरू होता है॥ मुंबई में एक बहुत ही मशहूर जगह है चर्च गेट॥ यकीं जानिए की यहाँ दूर-दूर तक न तो कोई चर्च है और न ही कोई ऐसा अनोखा गेट के जिसके नाम से इस जगह का ही नाम चर्च गेट रख दिया जाए॥ बस ये एक लोकल ट्रेनों के ठहरने और प्रस्थान करने का प्रमुख रेलवे स्टेशन है॥
और अब वो जगह जिसे लोग अँधेरी के नाम से बुलाते हैं॥ काफी महंगी जगह है साहब तो ज़ाहिर सी बात है यहाँ रात में भी गाड़ियों और बिल्डिंगों की रोशनी से दिन का ही भ्रम होने लगता है फ़िर इसका नाम अँधेरी क्यों??
और अब वो जगह जिसे लोग अँधेरी के नाम से बुलाते हैं॥ काफी महंगी जगह है साहब तो ज़ाहिर सी बात है यहाँ रात में भी गाड़ियों और बिल्डिंगों की रोशनी से दिन का ही भ्रम होने लगता है फ़िर इसका नाम अँधेरी क्यों??
इसके बाद ज़िक्र करते हैं बांद्रा नाम की जगह का ॥ शहर की सबसे महेंगी जगहों में से एक इस जगह पर कई नामी-गिरामी फिल्मी हस्तियां भी रहती हैं॥ अपने किंग खान का "मन्नत" भी यहीं है॥ पर साहब बन्दर कोई नही रहता या दीखता यहाँ फ़िर बांद्रा नाम रखने की क्या वजह हो सकती है??
एक और जगह है यहाँ लोअर परेल॥ अब लोअर का हिन्दी में मतलब होता है सामान्य से कुछ निचे मगर हैरत की बात है की ये जगह का धरातल बिल्कुल सामान्य है निचे नही..
यहाँ माँ लक्ष्मी का एक पौराणिक मन्दिर है जिसकी बहुत मान्यता है॥ इस मन्दिर को महालक्ष्मी के नाम से जाना जाता है और मज़ेदार बात ये है की ये मन्दिर है उस जगह नही बना हुआ जिस जगह को लोग महालक्ष्मी के नाम से जानते हैं बल्कि ये मन्दिर हाजी अली में है॥
यहाँ माँ लक्ष्मी का एक पौराणिक मन्दिर है जिसकी बहुत मान्यता है॥ इस मन्दिर को महालक्ष्मी के नाम से जाना जाता है और मज़ेदार बात ये है की ये मन्दिर है उस जगह नही बना हुआ जिस जगह को लोग महालक्ष्मी के नाम से जानते हैं बल्कि ये मन्दिर हाजी अली में है॥
"लोहार चाल" में कोई लोहार या उनके पुश्ते नही रहे कभी..
लोह्खंडवाला मार्केट वो जगह है जहाँ न तो कभी लोहे का कारोबार हुआ न ही इस वयवसाय से जुड़े लोग ही रहे यहाँ..
भिन्डी बाज़ार में शायद भिन्डी को छोड़ के बाकि सब मिल जाएगा..
भिन्डी बाज़ार में शायद भिन्डी को छोड़ के बाकि सब मिल जाएगा..
जैसे दिल्ली में पराठें वाली गली, किनारी बाज़ार वगैरा में आपको इनके नामों से सम्बंधित चीजों की भरमार मिलेगी मगर यहाँ अंजीर वाडी या मिर्ची गली में कोई भी अंजीर या मिर्ची बेचता हुआ दिखाई नही देगा..
है ना अजीब शहर॥ अपनी ही धुन में सड़कें नापते लोगों की ज़िन्दगी में ९.२०, ७.५० जैसे टाइम बहुत मायने रखते हैं क्योंकि ये टाइम उनकी मंजिल तक पहुँचने वाली ट्रेन के आने का पैगाम लाते हैं..
अपने घर से ज़्यादा लोगों का वक्त ट्रेन, बस, ऑटो रिक्शा के सफर में बीत जाता है..
स्कूल फ्रेंड, कॉलेज फ्रेंड की तरह एक और बिरादरी होती है यहाँ दोस्तों की "ट्रेन फ्रेंड"॥
मुंबई में ही आपको चाइनीज डोसा खाने को मिलेगा, मुंबई में ही आप जैन चिकेन आर्डर करने की जुर्रत कर सकते हैं॥ और मेरा विश्वास कीजिये आज तक किसी धार्मिक संस्था ने इस बात पर बवाल नही मचाया॥ "इसे कहते हैं डेमोक्रेसी सर जी"
है ना अजीब शहर॥ अपनी ही धुन में सड़कें नापते लोगों की ज़िन्दगी में ९.२०, ७.५० जैसे टाइम बहुत मायने रखते हैं क्योंकि ये टाइम उनकी मंजिल तक पहुँचने वाली ट्रेन के आने का पैगाम लाते हैं..
अपने घर से ज़्यादा लोगों का वक्त ट्रेन, बस, ऑटो रिक्शा के सफर में बीत जाता है..
स्कूल फ्रेंड, कॉलेज फ्रेंड की तरह एक और बिरादरी होती है यहाँ दोस्तों की "ट्रेन फ्रेंड"॥
मुंबई में ही आपको चाइनीज डोसा खाने को मिलेगा, मुंबई में ही आप जैन चिकेन आर्डर करने की जुर्रत कर सकते हैं॥ और मेरा विश्वास कीजिये आज तक किसी धार्मिक संस्था ने इस बात पर बवाल नही मचाया॥ "इसे कहते हैं डेमोक्रेसी सर जी"
फ़िर मिलते हैं ब्रेक के बाद॥
interesting!! enough intro for a new comer!!
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