Life is a Journey.From Kashmir to Kanyakumari,beginning till the end of another story, it is one long curve, full of Turning Points.. You never know which place, person, time, season or circumstance will affect LIFE, HEART, MIND or SOUL.. This blog is all about those Turning Points..
शुक्रवार, 28 मई 2010
कारगिल युद्ध : इतिहास बदलना होगा
ब्रिगेडियर देवेंद्र सिंह ने बटालिक सेक्टर से सबसे पहली बार पाकिस्तानी घुसपैठ होने की आशंका व्यक्त की थी लेकिन लेफ्टिनेंट जनरल किशन पाल ने न सिर्फ उनकी चेतावनी को अनदेखा किया बल्कि लेफ्टिनेंट सौरभ कालिया और उनके साथियों के गुमशुदा होने कि बात भी सरकार से छुपाये रखी। इस कलयुगी रक्षक (जनरल किशन पाल) के झूट के कब्रिस्तान में कई ऐसे सच दफ़न है जिन्हें सुन कर न सिर्फ सर शर्म से झुक जाता है बल्कि दिल करता है कि ऐसे लोगों को कड़ी से कड़ी सजा दे कर न सिर्फ सेना और देश के सामने बल्कि पुरे विशव के सामने एक मिस्साल कायम की जानी चाहिए।
जनरल किशन पाल के झूठ की और कई दस्तानो के कच्चे चिट्ठे निचे दिये लिंक में पढ कर आप खुद ही अंदाज़ा लगाईये कि इस इंसाने के साथ क्या सलूक किया जाये??
http://kashmir-timemachine.blogspot.com/2010/05/gen-pal-should-his-head-not-hang-in_27.html
बुधवार, 12 मई 2010
“हॉउस फुल एंड बदमाश कम्पनी इज ए हिट” और जहाँ तक हम सभी जानते हैं इन फिल्मों के हिट होने में इनके हीरो -हिरोइन के इश्क की झूठी अफवाहों का कोई योगदान नहीं । दोनों ही फिल्मों में ज़रूरत के हिसाब से सटीक और कसावदार स्टोरी, डायलाग, निर्देशन और अभिनय के कमाल ने दर्शकों के दिल में कुछ ऐसा धमाल मचाया कि दोनों फिल्मों ने इस साल की सुपर-डुपर हिट फिल्मों की श्रेणी में अपना स्थान सुनिश्चित कर लिया।क्या इन फिल्मों की सफलता “लव स्टोरी २०५०”, “किस्मत कनेक्शन” जैसी फ्लॉप फिल्मों के निर्माता-निर्देशकों को सफल फिल्मों के रास्ते का सही दिशा ज्ञान दे पायेगी?? कुछ फ़िल्मकार फिल्म की रिलीज़ से पहले हीरो-हिरोइन के इश्क़ के चर्चों को hi फिल्म की सफलता मज़बूत करनेवाला एक कलपुर्जा मानते हैं.. लेकिन ये तो संभव है कि हीरो हिरोएँ के इश्क के चर्चे किसी अख़बार या पत्रिका कि साल्स बाधा दे पर करोड़ों कि लगत से बनानेवाली फिल्मों को दर्शक यूँ ही सुपर हित होता
आम जनता की जिंदगी में कोई रस नहीं है। इसीलिए वह इस तरह की अफवाहों में रुचि लेती है।
यह बीमारी हमारे यहाँ विदेशों से आई है। वहाँ भी जब कोई फिल्म बन रही होती है, तभी से प्रचार विभाग के कल्पनाकार अफवाहें उड़ाने लगते हैं। इन अफवाहों का पैटर्न यही होता है कि फलाँ हीरो, फलाँ हीरोइन के साथ अमुक जगह पर देखा गया और ज़रूर इनके बीच कुछ पक रहा है। इन अफवाहों का आधार होता है कि अमुक फिल्म में दोनों काम कर रहे हैं और वहीं सेट पर दोनों की दोस्ती हुई। आप गौर करेंगे तो पाएँगे कि फिल्म पत्रिकाओं के मुताबिक जब भी कोई हीरो, किसी हीरोइन के साथ कोई फिल्म कर रहा था, उस दौरान दोनों के बीच इश्क भी पनप रहा था। हरमन बावेजा और प्रियंका चोपड़ा को लेकर भी यही कहा गया था। shahid kapoor और प्रियंका को लेकर भी यही कहा गया। सो, प्रचार के लिए इससे सस्ता कुछ हो ही नहीं सकता। अगर किसी पत्रिका या अखबार में फिल्म का विज्ञापन देना हो तो सेंटीमीटर के हिसाब से जगह खरीदनी पड़ती है, मगर इस तरह मुफ्त में ही करोड़ों का प्रचार हो जाता है। इन अफवाहों को फैलाने के लिए एजेंसियाँ हैं और ये एजेंसियाँ उन पत्रकारों को उपकृत करती हैं, जो ऐसी अफवाहें छापते हैं या उन्हें छपवाने की व्यवस्था करते हैं।असल बात तो यह है कि "काइट्स" के सेट पर प्यार नहीं, झगड़ा चलता रहता है। वह भी निर्माता व निर्देशक के बीच। हमेशा सेट पर रहने वाले फिल्म के निर्माता राकेश रोशन फिल्म के निर्देशक अनुराग बसु को सुझाव और सलाहें देते रहते हैं। पिछले दिनों फिल्म से दो गीत भी निकाल दिए। दोनों के बीच खटपट चलती ही रहती है। बसु अपने मन का काम करने के लिए आज़ादी चाहते हैं, जो राकेश रोशन देते नहीं हैं। बहरहाल, फिल्म के पोस्टर जारी हो गए हैं और पोस्टर बेहद आकर्षक हैं। देखना है "काइट" आसमान देखती है या उड़ते ही कटकर ज़मीन पर आ गिरती है।
क्या इन फिल्मों कि सफलता “लोव स्टोरी २०५०”, “किस्मत कनेक्शन” जैसी फ्लॉप फिल्मों के निर्माता-निर्देशकों को सफल फिल्मों के रस्ते का दिशा ज्ञान दे पायेगी?? कुछ फ़िल्मकार फिल्म कि रिलीज़ से पहले हीरो-हिरोएँ के इश्क के चर्चों को फिल्म कि सफलता को मज़बूत करनेवाला एक कलपुर्जा मानते हैं.. लेकिन ये तो संभव है कि हीरो हिरोएँ के इश्क के चर्चे किसी अख़बार या पत्रिका कि साल्स बाधा दे पर करोड़ों कि लगत से बनानेवाली फिल्मों को दर्शक यूँ ही सुपर हित होता
आम जनता की जिंदगी में कोई रस नहीं है। इसीलिए वह इस तरह की अफवाहों में रुचि लेती है।
यह बीमारी हमारे यहाँ विदेशों से आई है। वहाँ भी जब कोई फिल्म बन रही होती है, तभी से प्रचार विभाग के कल्पनाकार अफवाहें उड़ाने लगते हैं। इन अफवाहों का पैटर्न यही होता है कि फलाँ हीरो, फलाँ हीरोइन के साथ अमुक जगह पर देखा गया और ज़रूर इनके बीच कुछ पक रहा है। इन अफवाहों का आधार होता है कि अमुक फिल्म में दोनों काम कर रहे हैं और वहीं सेट पर दोनों की दोस्ती हुई। आप गौर करेंगे तो पाएँगे कि फिल्म पत्रिकाओं के मुताबिक जब भी कोई हीरो, किसी हीरोइन के साथ कोई फिल्म कर रहा था, उस दौरान दोनों के बीच इश्क भी पनप रहा था। हरमन बावेजा और प्रियंका चोपड़ा को लेकर भी यही कहा गया था। shahid kapoor और प्रियंका को लेकर भी यही कहा गया। सो, प्रचार के लिए इससे सस्ता कुछ हो ही नहीं सकता। अगर किसी पत्रिका या अखबार में फिल्म का विज्ञापन देना हो तो सेंटीमीटर के हिसाब से जगह खरीदनी पड़ती है, मगर इस तरह मुफ्त में ही करोड़ों का प्रचार हो जाता है। इन अफवाहों को फैलाने के लिए एजेंसियाँ हैं और ये एजेंसियाँ उन पत्रकारों को उपकृत करती हैं, जो ऐसी अफवाहें छापते हैं या उन्हें छपवाने की व्यवस्था करते हैं।असल बात तो यह है कि "काइट्स" के सेट पर प्यार नहीं, झगड़ा चलता रहता है। वह भी निर्माता व निर्देशक के बीच। हमेशा सेट पर रहने वाले फिल्म के निर्माता राकेश रोशन फिल्म के निर्देशक अनुराग बसु को सुझाव और सलाहें देते रहते हैं। पिछले दिनों फिल्म से दो गीत भी निकाल दिए। दोनों के बीच खटपट चलती ही रहती है। बसु अपने मन का काम करने के लिए आज़ादी चाहते हैं, जो राकेश रोशन देते नहीं हैं। बहरहाल, फिल्म के पोस्टर जारी हो गए हैं और पोस्टर बेहद आकर्षक हैं। देखना है "काइट" आसमान देखती है या उड़ते ही कटकर ज़मीन पर आ गिरती है।
शनिवार, 8 मई 2010
तेरे पास कौन सी माँ है भाई - "मदरइंडिया" की नर्गिस या "शूटआउट" की अमृता सिंह??

भाई, मेरे पास “माँ” है!!


शुक्रवार, 7 मई 2010
२६/११ - कुछ फैसले अभी बाकी हैं..
२६/११ का काला अतीत इतिहास के पन्नो में दर्ज हो चुका है। ६/०४ का दिन उसी काले अतीत को रचने वाले के भविष्य का फैसला करने केलिए इतिहास में सुनहरे अक्षरों से लिखा जा चुका है। कसाब जोकि सरहद पार से भेजा गया पार्सल था उसकी मौत तो निश्चित हो चुकी है लेकिन सरहद के भीतर बैठे उन नकाबपोशों का क्या जो इस देश की नीव को दीमक बनके खोखला कर रहे हैं?? उनकेलिए न तो कोई केस दर्ज हुआ, न ही हमें उनके गुनाहों की खबर है इसलिए उनकी सजा मुक़र्रर होने का इंतज़ार हमें हो ये सवाल ही पैदा नहीं होता।
२६/११ के दौरान शहीद हुए हमारे जांबाज़ सिपाहियों की शहादत केलिए क्या सिर्फ कसाब ही ज़िम्मेदार है?? उस काली रात के अँधेरे में और भी बहुत कुछ ऐसा घटित हुआ जिससे हम सब बेखबर हैं?? इस ब्लॉग लिंक को पढ़ कर शायद काफी सवालों के जवाब हमारे सामने खुद-बी-खुद बेपर्दा हो जायेंगे।
http://kashmir-timemachine.blogspot.com/2010/05/kasab-and-mumbai-police.html
सोमवार, 3 मई 2010
खेल ब्रेकिंग न्यूज़ का..
http://kashmir-timemachine.blogspot.com/2010/05/tv-news.html