हर दुसरे-तीसरे रियलिटी शो में जज या


अब बात करते हैं कभी छोटे और कभी बड़े हस्गुल्लों से अपना मन बहलाने वाले राहुल महाजन की॥ उनको बिग-बॉस में प्रवेश क्यों दिया गया ये बात जगजाहिर है॥ ड्रग्स काण्ड और इनकी विवाहित ज़िन्दगी के विवादों को मीडिया ने इस कदर हवा दी की राहुल की पो बारह हो गई और एक के बाद एक नौकरी व् बिज़नस में असफल राहुल आज न सिर्फ़ ख़ुद सफलता के गुम्बद्दको थामे हुए हैं बल्कि एक रियलिटी शो के द्वारा नई हास्य प्रतिभाओं को परखने की ज़िम्मेदारी का बोझ भी अपने कमज़ोर कन्धों पर उठा रहे हैं॥ जबकि हास्य या स्टैंडअप्प कॉमेडी से उनका कोई रिश्ता नही है॥ उस लिहाज़ से बतौर जज एहसान कुरैशी का दावा राहुल महाजन से कहीं ज़्यादा पुख्ता है॥ मगर एहसान के पास विवादित छवि नही इस्सलिये उनको पूछने वाला कोई नही..
अब मोनिका बेदी का ज़िक्र करें तो आप-हम सभी जानते हैं की अगर मोनिका पर अबू सलेम की नज़रें इनायत ना होती तो ये कुवारी/विवाहित/तलाकशुदा कन्या (जो भी टाइटल इन्हे पसंद हो ये चुन सकती हैं) का बोरिया बिस्तर अभिनय जगत से कब का बंध चुका था॥ मगर आज ये एक के बाद एक रियलिटी शो में ठुमके लगा रही हैं और एक सफल और जाना पहचाना चेहरा होने का भरपूर आनंद ले रही हैं॥
सफलता के इस महामंत्र के प्रचारकों में अभिनेता ही नही नेता भी काफी बाज़ी मार रहे हैं॥ मुंबई धमाके के शहीदों पर उंगली उठा के समाचार जगत का ध्यान उन धमाकों से हटा के अपनी और खींचने वाले ऐ.आर अंतुले को शायद उनके पड़ोसी या मौजूदा सरकार के कुछ एक गिने-चुने लोग ही जानते होंगे मगर अंतुले ने "अपनी उंगली टेढी कर सफलता का ऐसा घी निकला" की बिना कुछ किए वो अपने समाज के मसीहा के रूप में पूजे जाने लगे॥ विवादित चेहरों का ज़िक्र हो अर्जुन सिंह पीछे रह जायें तो ये उनके साथ अन्याय होगा॥ दूसरी दुनिया से बुलावे का इंतज़ार कर रहे अर्जुन सिंह जब भी अपना नाम सुर्खियों में देखने को बेताब होते हैं बस आरक्षण के ज़हर में डूबा एक तीर युवाओं के दिल में उतार देते हैं॥ नतीजा वील चेयर पर बैठे इस अपाहिज नेता की कुर्सी पर आज भी दीमक नही लगा॥ अस्पताल के चक्कर काटते हुए भी अपने आस-पास जर्नलिस्टों का हुजूम कैसे एकत्रित करना है ये राज़ इनसे बेहतर शायद ही किसी को पता हो॥
और अब आखिर में बात करते हैं गाँधी खानदान के सबसे छोटे चिराग यानि वरुण गाँधी की॥ वरुण के विवादित भाषणों ने शर शैय्या पर पड़ी भारतीय जनता पार्टीको जैसे संजीवनी बूटी सुंघा दी है॥ रातों रात हासिल हुयी इस सफलता ने राहुल गाँधी के प्रधानमंत्री बनने के सपने के रंग ज़रूर कुछ फीके कर दिए होंगे॥ बेचारे राहुल गाँधी जोकि आम आदमी का दिल और वोट जितने केलिए कभी मजदूरों के साथ मिटटी ढोहते दिखाई देते हैं तो कभी कोई और झुनझुना पकडे आम आदमी को अपना हाथ पकडाने की पुरजोर कोशिश करते नजर आते हैं॥ पर सफलता है की एक बेवफा माशूका की तरह बड़े भाई का हाथ छोड़ छोटे भाई का दामन थामती दिखाई दे रही है॥
जो भी हो मेरी आम जनता और खास तौर पे देश के युवाओं से येही गुजारिश है की बजुर्गों कीबनाई कहावत "मेहनत ही सफलता की कुंजी है" इस पर अमल करना न छोडें॥ वरना देश में हर घर में एक संभावना अपने भाई-पिता या माँ को मुह तोड़ जवाब देती नजर आएगी, हर घर में एक राहुल महाजन अपनी पत्नी को पिटता दिखाई देगा, हर गली चोराहे पे एक राखी सावंत जिस्म की नुमाइश करती दिखाई देगी॥ शादी के इश्तिहार में एक अदद अंडर वर्ल्ड से जुड़े पति की फरमाइश की जायेगी॥ हर नेता अन्तुले के नक्शे क़दमों पे चल के शहीदों की चिता पर राजनीती की रोटियां सकेगा और चुनावों में हर पार्टी धर्म के नाम पर जनता को उनकी हिफाज़त के सब्ज़ बाग़दिखाती नजर आयेगी॥ क्यायही है आपके सपनो का भारत??